225 साल पुरानी घंटावाला की दुकान बंद, जिसकी मिठाई के शौक़ीन थे मुग़ल और अंग्रेज़

Delhi's oldest sweet shop: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) दशकों से अपने खान-पान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। दिल्ली में आज भी कई ऐसी ऐतिहासिक दुकानें हैं जो अपने लजीज व्यंजनों के लिए जानी जाती हैं। और और आज इस लेख में हम आपको चांदनी चौक (Chandni Chowk) की ऐतिहासिक और मशहूर मिठाई की दुकान 'घंटेवाला' के बारे में बताएंगे। जानिए क्यों 225 साल से यह नंबर वन मिठाई की दुकान है....

225 साल पुरानी घंटावाला की दुकान बंद, जिसकी मिठाई के शौक़ीन थे मुग़ल और अंग्रेज़

Delhi's oldest sweet shop: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) दशकों से अपने खान-पान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। दिल्ली में आज भी कई ऐसी ऐतिहासिक दुकानें हैं जो अपने लजीज व्यंजनों के लिए जानी जाती हैं। इन व्यंजनों के प्रामाणिक स्वाद का मज़ा लेने के लिए देश भर से खाने के प्रेमी यहां आते हैं। इस मामले में दिल्ली का चांदनी चौक सबसे आगे है। यहां आज भी कई ऐसी दुकानें हैं जो 200 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। घंटेवाला (Ghantewala) नाम की एक मिठाई की दुकान हुआ करती थी, जो दुर्भाग्य से साल 2018 में बंद हो गई। आज भी लोग इसे देश की सबसे पुरानी मिठाई की दुकान मानते हैं।

दिल्ली की यह ऐतिहासिक मिठाई की दुकान 225 साल से लगातार चल रही थी, लेकिन आर्थिक कारणों से सितंबर 2018 में राजधानी दिल्ली के इतिहास का एक अध्याय हमेशा के लिए खत्म हो गया। इस दुकान के कई सीन साल 1954 में मीना कुमारी की फिल्म 'चांदनी चौक' (Chandni Chowk) में भी फिल्माए गए थे।

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क्या है 'घंटेवाला' का इतिहास? - What is the history of 'Ghantewala'

जयपुर के आमेर निवासी लाला सुखलाल जैन (Lala Sukhlal Jain) ने इस दुकान की शुरुआत की थी। दरअसल, सुखलाल जैन (Sukhlal Jain) दिल्ली में मिठाई का कारोबार शुरू करने की सोच कर यहां आए थे। यहां आकर उन्होंने सबसे पहले ठेले पर मिश्री-मावा (Mishri-Mawa) बेचना शुरू किया। लेकिन जब धीरे-धीरे लोग उन्हें पहचानने लगे तो हर जगह उनके मिश्री-मावा (Mishri-Mawa) की डिमांड बढ़ने लगी। इसके बाद 1790 में उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक (Chandni Chowk) में मिठाई की दुकान खोली।

कैसे पड़ा 'घंटेवाला' नाम? - How did the name 'Ghantewala' come about?

जब यह दुकान दिल्ली के चांदनी चौक ((Chandni Chowk)) में शुरू की गई थी। उस समय दिल्ली पर मुगल शासक शाह आलम द्वितीय (Mughal Emperor Shah Alam II) का शासन था। शाह आलम (Shah Alam) की सवारी जब दुकान के सामने से गुजरती थी तो उसका हाथी इस दुकान के सामने रुक जाता था। जब तक वह यहां की मिठाई नहीं खाता तब तक वह आगे नहीं बढ़ता और वहीं खड़ा होकर गले में घण्टा बजाता रहता था। तभी से लोग इस दुकान को 'घंटेवाला' (Ghantewala) के नाम से जानने लगे। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शुरुआती दिनों में लाला सुखलाल जैन घंटी बजाकर मिठाई बेचते थे, इसलिए इसका नाम 'घंटेवाला' (Ghantewala) पड़ गया।

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मुगल से लेकर अंग्रेज तक सब दीवाने - From Mughal to British all crazy

चांदनी चौक (Chandni Chowk) की ऐतिहासिक और मशहूर मिठाई की दुकान 'घंटेवाला' (Ghantewala) में मुगल ही नहीं बल्कि अंग्रेज भी मिठाइयों और नमकीन के शौकीन थे। इनकी मिठाइयां न केवल दिल्ली में प्रसिद्ध थीं, बल्कि बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक भी इस दुकान की मिठाइयों का स्वाद लेने यहां आते थे। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), राजीव गांधी (Rajiv Gandhi), मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi), मोरारजी देसाई (Morarji Desai) भी घंटावाले के घी से बनी 'जलेबी' और 'सोहन हलवा' के दीवाने थे। दिवाली की रात यहां ग्राहकों की लाइन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तैनात रहती थी।

'घंटेवाला' के मालिक के पास थी 'इम्पाला कार' - The owner of 'Ghantewala' had an 'Impala car

70 के दशक में 'घंटेवाला' (Ghantewala) के मालिक वसंत लाल जैन (Vasant Lal Jain) अपनी 'इम्पाला कार' (Impala car) से दुकान जाया करते थे। उस समय पुरानी दिल्ली में केवल 'जैन परिवार' (Jain family) के पास ही इतना महंगा गाड़ी था। जब ये कार दुकान के बाहर खड़ी होती थी तो इसे देखने के लिए चांदनी चौक (Chandni Chowk) में लोगों की भीड़ लग जाती थी. पहले यह दुकान चांदनी चौक (Chandni Chowk) के 'फौहारे चौक' (Fauhare Chowk) पर हुआ करती थी।

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वर्ष 1991 में आतंकी बमों से भरा बैग छोड़कर गए थे। इस दौरान दुकान के कर्मचारी को इसकी भनक लग गई, जिसके बाद इस बैग को बाहर निकाला गया। उसमें एक धमाका हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। आज यह दुकान भले ही बंद हो गई हो, लेकिन आज भी काफी संख्या में लोग इस दुकान को देखने आते हैं।