आदिशक्ति को क्यों लेना पड़ा था ब्रह्मचारिणी का रूप, जानें पीछे की कथा (Why Adishakti Had To Take The Form Of Brahmacharini, Know The Story Behind In Hindi And English)
मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि (Navratri) के दिनों में देवी जगत माता पृथ्वी पर 9 दिनों तक भ्रमण करती हैं और इन 9 दिनों में सभी माता के नौ रूपों (nine forms of Mata )की पूजा करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)स्वरूप की पूजा की जाती है। क्यों लेना पड़ा था ब्रह्मचारिणी का रूप क्या है , इसके पीछे की कथा..................
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा हिंदी में (Story Of Maa Brahmacharini In Hindi)
मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दिनों में देवी जगत माता पृथ्वी पर 9 दिनों तक भ्रमण करती हैं और इन 9 दिनों में माता के सभी नौ रूपों की पूजा करते हैंज्यादातर लोग नवरात्रि का व्रत रखते हैं और जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, वे इनकी पूजा जरूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार मां के नौ रूपों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
इन दिनों मां की आरती, पूजा और श्लोकों को पढ़ने से मां बहुत जल्द प्रसन्न होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी माता को ब्रह्म का रूप माना गया है। धर्म के अनुसार ब्रह्मचारिणी माता अपने भक्तों को मनोवांछित फल देती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्रवृत्ति होती है। मां का यह रूप बहुत ही भव्य और सुंदर है। इस रूप में माता अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। जानिए आदिशक्ति के ब्रह्मचारिणी रूप की कथा।
माँ ब्रह्मचारिणी व्रत कथा
मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता ने अपने पूर्वजन्म ( पिछले जन्म ) में राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। बड़े होने के बाद मां ने नारद जी की शिक्षाओं से भगवान शिव शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। इसी तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। उन्होंने एक हजार साल तक फल और फूल खाकर समय बिताया और सौ साल तक जमीन पर ही रह कर तपस्या की।
शिव शंकर को पाने के लिए माता ने कठोर व्रत रखा.खुले आसमान के नीचे उन्हें बारिश और धूप का भीषण दर्द सहना पड़ा। तीन हजार साल तक मां ने टूटे हुए बिल्वपत्र खाकर भोलेनाथ की पूजा की। बाद में मां ने सूखे बिल्वपत्र भी खाना बंद कर दिया। इसी के कारन उनका नाम अपर्णा भी है। माता ने निर्जल और भूखे रहकर कई हजार वर्षों तक घोर तपस्या की।
कठिन तपस्या से देवी मां का शरीर पूरी तरह से सूख गया। तब देवताओं, मुनियों ने ब्रह्मचारिणी माता की तपस्या की सराहना करते हुए कहा, हे माता, संसार में इतनी कठोर तपस्या कोई नहीं कर सकता। ऐसी तपस्या आप ही कर सकते हैं। आपकी इस तपस्या से आपको भोलेनाथ पति के रूप में अवश्य ही प्राप्त होंगे। यह सुनकर माँ ब्रह्मचारिणी ने तपस्या को पूरा किया और अपने पिता के घर चली गई। वहां जाने के कुछ दिन बाद मां ने शिव शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा अंग्रेज़ी में (Story Of Maa Brahmacharini In English)
According to the beliefs, during the days of Navratri, Goddess Jagat Mata travels on earth for 9 days and, in these 9 days, all the nine forms of the mother are worshipped. Most of the people keep the fast of Navratri and those who do not keep fast, they definitely worship them. According to the scriptures, worshiping the nine forms of the mother removes all the obstacles in a person's life.
These days, the mother is pleased very soon by reading the aarti, worship and shlokas of the mother. The Brahmacharini form of Maa Durga is worshiped on the second day of Navratri. According to the scriptures, Brahmacharini Mata is considered as the form of Brahma. According to religion, Brahmacharini Mata gives desired results to her devotees. Worshiping them leads to austerity, renunciation, detachment, virtue and restraint. This form of mother is very gorgeous and beautiful. In this form, the mother holds a rosary of chanting in her right hand and a kamandal in her left hand. Know the story of the Brahmacharini form of Adishakti.
Mother Brahmacharini Vrat Katha
According to the beliefs, Brahmacharini Mata was born as the daughter of King Himalaya in her previous life. After growing up, the mother did severe penance to get Lord Shiva Shankar as her husband by the teachings of Narad ji. Due to this penance, she was named Brahmacharini. He spent time eating fruits and flowers for a thousand years and did penance by keeping it on the ground for a hundred years.
Mother kept a strict fast to get Shiva Shankar. Under the open sky, she had to bear the severe pain of rain and sun. For three thousand years, the mother worshiped Bholenath by eating broken bilva patra. Later the mother also stopped eating dried bilva patra. That is why her name is also Aparna. Mother did severe penance for several thousand years, being waterless and hungry.
Due to severe penance, the body of the Mother Goddess completely dried up. Then the deities, sages, appreciating the penance of Brahmacharini Mata, said, O mother, no one in the world can do such severe penance. Only you can do such penance. By this austerity of yours, you will definitely get Bholenath in the form of a husband. Hearing this, Brahmachari completed his penance and went to his father's house. A few days after going there, the mother received Shiva Shankar as her husband.