हिटलर तानाशाह कैसे बना? क्यों करना चाहता था देश पर राज, देखिये सनकी हिटलर की सच्चाई
डोल्फ़ हिटलर एक जाट जर्मन शासक था। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। इस पार्टी को प्रायः "नाज़ी पार्टी" के नाम से जाना जाता है। सन् 1933 से सन् 1945 तक वह जर्मनी के शासक रहा।
डोल्फ़ हिटलर एक जाट जर्मन शासक था। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। इस पार्टी को प्रायः "नाज़ी पार्टी" के नाम से जाना जाता है। सन् 1933 से सन् 1945 तक वह जर्मनी के शासक रहा। हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है।
अडोल्फ हिटलर का जन्म आस्ट्रिया के वॉन नामक स्थान पर 20 अप्रैल 1889 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वे वियना चले गए। कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वे पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगे। जब प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ तो वे सेना में भर्ती हो गए और फ्राँस में कई लड़ाइयों में उन्होंने भाग लिया।
द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब उसके आदेश पर नात्सी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैण्ड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनों ने नाज़ी जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जहाँ एक ओर तानाशाही प्रवृति का उदय हुआ। वहीं दूसरी और जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाज़ी दल की स्थापना हुई। जर्मनी के इतिहास में हिटलर का वही स्थान है जो फ्राँस में नेपोलियन बोनाबार्ट का, इटली में मुसोलनी का और तुर्की में मुस्तफा कमालपाशा का।
हिटलर के पदार्पण के फलस्वरुप जर्मनी का कायाकल्प हो सका। उन्होने असाधारण योग्यता, विलक्षण प्रतिभा और राजनीतिक कटुता के कारण जर्मनी गणतंत्र पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया तथा जर्मनी में हिटलर का अभ्युदय और शक्ति की प्राप्ति एकाएक नहीं हुई। उनकी शक्ति का विकास धीरे- 2 हुआ। उनका जन्म 1889 ई॰ में आस्ट्रिया के एक गाँव में हुआ था।
आर्थिक कठिनाइयों के कारण उनकी शिक्षा अधूरी रह गई। वे वियेना में भवन निर्माण कला की शिक्षा लेना चाहते थे। लेकिन उसके भाग्य में तो जर्मनी का पुनर्निर्माण लिखा था। प्रथम विश्व युद्ध से ही उनका भाग्योदय होने लगा। वे जर्मन सेना में भर्ती हो गए। उन्हें बहादुरी के लिए Iron Cross की उपाधि मिली। युद्ध समाप्ति के पश्चात् उन्होंने सक्रिय राजनीति में अभिरुची लेना शुरु किया। बहुत दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति था।
उपर्यूक्त सभी कारणों के अतिरिक्त हिटलर के अभ्यूदय का महत्वपूर्ण कारण स्वय उनका प्रभावशाली एवं आकर्षक व्यक्तित्व था वे उच्च कोटी के वक्ता थे। वे भाषण की कला में निपुण थे। उनकी वाणी जादू का काम करती थी और जनता का दिल जीत लेती थी। आधुनिक युग में प्रचार का काफी महत्व है। प्रचार वह शक्ति है जो झुठ को सच और सच को झुठ बना सकती है। संयोगवश हिटलर को एक महान प्रचारक मिल गया था।
जिसका नाम था गोबुल्स उनक सिद्धांत था कि झुठ बातों को इतना दुहराओं कि वह सत्य बन जाए। इस तरह उनकी सहायता से जनता का दिल जितना हिटलर के लिए आसान हो गया। इस तरह हम देखते हैं कि हिटलर और उनकी पार्टी के अभ्युदय के अनेक कारण थे।
जिनमें हिटलर का व्यक्तित्व एक महत्वपूर्ण कारण था और अपने व्यक्तित्व का उपयोग कर उन्होंने वर्साय संधि की त्रुटियों से जनता को अवगत कराया उन्हें अपना समर्थक बना लिया। यह ठीक है कि युद्धोतर जर्मन आर्थिक दृष्टि से बिल्कुल पंगु हो गया था, वहाँ बेकारी और भुखमरी आ गई थी परन्तु हिटलर एक दूरदर्शी राजनितिज्ञ था। और उसने परिस्थिति से लाभ उठाकर राजसत्ता पर अधिपत्य कायम कर लिया।