शिक्षा का महत्व (The Story of Importance of Education)
पुराने समय पहले एक गाँव में एक राजा रहता था। वह प्रतिभाशाली था एक दिन राजा शिकार करने गया और अचानक बारिश आ गई। बारिश की वजह से राजा अपने महल का रास्ता भटक जाता है और सिपाही भी उससे अलग हो जाते है।
पुराने समय पहले एक गाँव में एक राजा रहता था। वह प्रतिभाशाली था एक दिन राजा शिकार करने गया और अचानक बारिश आ गई। बारिश की वजह से राजा अपने महल का रास्ता भटक जाता है और सिपाही भी उससे अलग हो जाते है। राजा को भूख-प्यास दोनों लगने लगती है।
तभी राजा को दूर तीन बच्चे खेलते नज़र आते है। वह बच्चे एक दूसरे के दोस्त दिखाई देते है। राजा उन बच्चों के पास पहुंचकर कहता है कि क्या तुम मेरे लिए खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी ला सकते हो? मैं बहुत भूखा हूं और प्यास भी लग रही है।
तब बच्चों ने कहा जी ज़रुर! और तब तुरंत बच्चे गांव की तरफ गए और कहीं से थोड़ा भोजन और जल लेकर आए। राजा ने भोजन और जल ग्रहण किया।
राजा बच्चों के उत्साह और प्रेम से बहुत प्रसन्न हुआ।
राजा ने बच्चों से कहा कि बच्चों तुम जीवन में क्या करना चाहते हो? मैं तुम सब की मदद करना चाहता हूं। बच्चे यह सुनकर सोचने लगे।
तब पहले बच्चे ने कहा कि मुझे धन चाहिए। मैंने कभी अच्छा खाना नहीं खाया और मैंने अच्छे कपड़े नहीं पहने। मैंने कभी दो वक्त की रोटी नहीं खाई। इसलिए मुझे सिर्फ धन चाहिए जिससे मैं अच्छा खाना और कपड़े ख़रीद सकू।
राजा ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं तुम्हें इतना धन दूँगा कि जीवन भर सुखी रहोगे। इस बात को सुनकर बच्चा खुश हो जाता है।
राजा ने अब दूसरे बच्चे से पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए?
उस बच्चे ने कहा क्या आप मुझे बड़ा बंगला और घोड़ागाड़ी देंगे?
तब राजा ने कहा क्यों नहीं? मैं तुम्हें आलीशान बंगला और घोड़ागाड़ी दूँगा।
अब राजा ने तीसरे बच्चे से पूछा तुम्हें क्या चाहिए?
तीसरे बच्चे ने कहा कि मुझे बहुत सारा धन या बंगला नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि मैं अच्छे से पढ़ लिख कर बहुत बड़ा विद्वान बन सकू और शिक्षा प्राप्त कर देश की सेवा कर सकू ।
तीसरे बच्चे की बात से राजा बहुत प्रभावित हुआ। राजा ने उसके लिए पढ़ने की व्यवस्था कर दी।
वह बच्चा बहुत मेहनती था। उसने दिन रात मेहनत की और एक विद्वान बन गया। उसी राजा ने समय आने पर उसे मंत्री पद पर नियुक्त किया।
एक दिन राजा को वर्षों पहले की घटना याद आई। उन्होंने मंत्री से कहा तुम्हारे साथ जो दो बच्चे थे उसका क्या हुआ? मैं एक बार तुम तीनों को एक साथ देखना चाहता हूं। इसलिए तुम दोनों मित्रो को भोजन पर आमंत्रित कर दो। मंत्री ने मित्रों को आमंत्रित किया।
अगले दिन सभी एक साथ राजा के सामने प्रस्तुत हुए। राजा ने दोनों को अपने बारे में बताने को कहा।
तब जिस बच्चे ने धन मांगा था वह बहुत दुखी होकर बोला महाराज मैंने आपसे धन मांग कर बहुत बड़ी गलती कर दी। मैं बहुत सारा धन लेकर आलसी हो गया। मैंने बेकार की चीजों में अपना धन व्यर्थ कर दिया। मेरा कुछ धन तो चोरी भी हो गया।
अब जिस बच्चे ने घोड़ा गाड़ी और बंगला मांगा था उस बच्चे से महाराज ने पूछा कि तुमने क्या किया? उसने कहा कि मैं आपसे बंगला और घोड़ा गाड़ी लेने के बाद ठाठ-माठ से अपने बंगले में रहने लगा पर वर्षों पहले आई बाढ़ में मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया और मैं भी पहले की जैसी परिस्थिति में पहुंच गया।
कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की धन और संपत्ति ही जरुरी नहीं होती है। जीवन में शिक्षा और ज्ञान का ही महत्वपूर्ण मूल्य होता है।