जहाँ गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे महान विद्वानों ने लिया जन्म, क्या है उस बिहार का गौरवशाली इतिहास
बिहार में गौतम बुध ने जन्म लिया यहीं पर जन्मे चाणक्य, आर्यभट्ट जैसे महान विद्वान ने अपनी विद्या और ज्ञान से पूरे भारत देश को एक सही मार्ग पर चलना सिखाया....
बिहार भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। यह जनसंख्या की दृष्टि से भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बारहवां(12) है। 15 नवम्बर, सन् 2000 ई॰ को बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग कर एक नया राज्य झारखण्ड बनाया गया। बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। गंगा इसमें पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती है। बिहार भारत के सबसे महान् राज्यों मे से एक है।
बिहार की जनसंख्या का अधिकांश भाग ग्रामीण है और केवल 11.3 प्रतिशत लोग नगरों में रहते हैं। इसके अलावा बिहार के 58% लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं।
प्राचीन काल में बिहार विशाल साम्राज्यों, शिक्षा केन्द्रों एवं संस्कृति का गढ़ था। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ। 'बिहार', 'विहार' का अपभ्रंश है। 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है।
इतिहास (history)
बिहार इतिहास (Bihar history) के लिए प्रसिद्ध है बिहार का इतिहास अपने अंदर महान संतों और ज्ञानियों की कथा समेटे हुए है इस जगह का नाम बिहार क्यों है इसका एक ऐतिहासिक कारण है इस जगह पर सभी साधु संत लोक विहार करने आते थे उसी कारण से इस जगह का नाम बिहार पड़ा.
आज बिहार (Bihar) की साक्षरता भले ही अन्य राज्यों से कम है पर बिहार (Bihar) का इतिहास ऐसा बिल्कुल भी नहीं था, यहां तक कि बिहार (Bihar) एक ऐसा स्थान था जहां भारत की पुरानी विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) यही पर माजूद थी.
बिहार की धरती पर ही गौतम बुध (Gautam Budh) ने जन्म लिया यहीं पर जन्मे चाणक्य (Chanakya), आर्यभट्ट (Aryabhatta) जैसे महान विद्वान ने अपनी विद्या और ज्ञान से पूरे भारत देश को एक सही मार्ग पर चलना सिखाया.
जिस समय में आम लोग शिक्षा को अपने जीवन में समाहित होने महत्व नहीं देते थे उस समय बिहार के पाटलिपुत्र नगर शिक्षा का केंद्र हुआ करता था दोस्तों बिहार का इतिहास सम्राट अशोक अजातशत्रु आदी के जन्म से जुड़ा है.
आज भी यहां के बच्चे भारत की सबसे बड़ी परीक्षाओं में अपना स्थान बनाते हैं और नौकरी पाकर साबित कर देते हैं कि बिहार का इतिहास कल भी सुनहरे अक्षरों में लिखा गया था और आज भी ऐसे ही लिखा जाएगा.
सब जानते हैं कि बिहार के लोग अपनी बुद्धि का लोहा पूरे विश्व में मनवा चुके हैं पर यहां कुछ पिछड़े इलाके भी है जो धीरे-धीरे विकसित हो रहे हैं यहां का इतिहास का विवरण आदिकाल से पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
अब जानते हैं किस काल में बिहार का क्या इतिहास रहा,
1. बिहार का इतिहास (history of Bihar) आदिकाल से भी पुराना है, ऐसा माना गया है कि आदिकाल के पुराने ग्रंथों में बिहार के कई क्षेत्र का विवरण मिलता है जिसमें पाटलीपुत्र, मिथिला, मगध आदि शामिल है.
सबसे पहले हम बात करते हैं भगवान श्री राम के काल की ऐसा माना जाता है कि माता सीता जो श्री राम की पत्नी थी उनका जन्म बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था.
आगे काल में बिहार में 563 ईसवी पूर्व जब गौतम बुध का जन्म हुआ (अब वह क्षेत्र नेपाल में पड़ता है) एवं 35 वर्ष की आयु में उन्हें बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई.
उस समय बिहार एक गणतंत्र राज्य था, इस काल में 1000 वर्षों तक बिहार पूरे भारत में संस्कृति और शिक्षा का एकमात्र केंद्र था, यहां पर अजातशत्रु बिम्बिसार जैसे राजा थे जिन्होंने पूरे मगध पर शासन किया।
आगे चल कर मगध इतना शक्तिशाली राज्य बन गया की इसकी सीमाएं नंद नगर से लेकर पंजाब तक अपना साम्राज्य फैला दिया था, बाद में यह सम्राट मौर्य साम्राज्य के हाथ में चला गया जिन्होंने मगध को अपने शासन केंद्र बनाए रखा.
2. अब हम बात करते हैं बिहार के मध्यकाल की, मध्यकाल बिहार के लिए अच्छा नहीं था क्योंकि उस समय यहां मुगलों का शासन था इसके 12 वीं सदी में ना जाने कितने बौद्ध भिक्षुयों का नरसंहार किया और कई विश्वविद्यालयों को नष्ट किया.
उसके बाद महान शासक शेरशाह सूरी ने जब यहाँ अपना राज्य स्थापित किया तब उन्होंने पटना को एक नया जीवन देने के लिए इसे अपना मुख्यालय बनाया.
जब मुगलो की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होने लगी तब यहाँ बंगाल के नवाब ने यहाँ का शासन संभाला, जिन्होंने यहां की जनता से बहुत कर्ज बसूला इसलिए यह काल बिहार के लिए अच्छा नहीं रहा.
3. आगे हम बात करते हैं बिहार के ब्रिटिश सम्राज्य काल के बारे में. बक्सर की लड़ाई के बाद भागदौड़ ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों में चला गया उन्होंने पटना को व्यापारिक केंद्र बनाया था बंगाल प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश राज प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश राज्य का हिस्सा बने और बिहार और उड़ीसा एक अलग प्रांत बन गया.
इसके बाद पटना नए राज्य की राजधानी के रूप में उभरा, ब्रिटिश साम्राज्य में बिहार में बहुत सारे अच्छे कार्य भी किये गए, अंग्रेजों ने पटना में कई कॉलेज बनवाए जिसमें पटना कॉलेज, पटना विज्ञान कॉलेज, बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज, और बिहार पशु चिकित्सा कॉलेज जैसे कई शैक्षणिक संस्थानों आती है.
1935 में बिहार और उड़ीसा के अलग राज्य में पुनर्गठन किया गया पटना ब्रिटिश राज्य में बिहार की राजधानी के रूप में ही रहा.
1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो और असहयोग आंदोलन चलाए तो उसमें भी यहां के लोग बढ़-चढ़कर भाग लिया और 1946 में बिहार की पहली कैबिनेट बनी जिसमें श्री कृष्ण सिंह प्रथम मुख्यमंत्री बने और अनुग्रह नारायण सिन्हा प्रथम उपमुख्यमंत्री बने.
भाषा और संस्कृति (language and culture)
हिंदी बिहार की राजभाषा और उर्दू द्वितीय राजभाषा है। मैथिली भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में सम्मिलित एकमात्र बिहारी भाषा है। भोजपुरी, मगही, अंगिका तथा बज्जिका बिहार में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाओं और बोलियों में सम्मिलित हैं। प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दीपावली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रम, ईद,तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना सिटी (Patna City) में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है। बिहार ने हिंदी को सबसे पहले राज्य की अधिकारिक भाषा माना है।
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