जानिए Nike की सफलता की कहानी, जर्नलिस्ट और कोच ने की थी शुरुआत, आज है देशभर का पसंदीदा ब्रांड
फुटवियर की दुनिया का बादशाह कहे जाने वाले इस Nike ब्रांड की शुरुआत कैसे हुई, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। आइए आपको आज खेल जगत में बड़ा नाम बन चुके Nike जूते की उत्पत्ति की कहानी से रूबरू कराते हैं.....
Nike History: भले ही आप महंगे जूतों के शौकीन न हों, लेकिन आपने विश्व भर में प्रसिद्ध शू ब्रांड Nike का नाम आपने जरूर सुना होगा. स्पोर्ट्स पर्सन से लेकर आम आदमी तक हर कोई उनके द्वारा बनाए गए जूतों को पसंद करता है।
लोग इससे बने स्नीकर्स खरीदते हैं। फुटवियर की दुनिया का बादशाह कहे जाने वाले इस ब्रांड की शुरुआत कैसे हुई, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। आइए आपको आज खेल जगत में बड़ा नाम बन चुके इस जूते की उत्पत्ति की कहानी से रूबरू कराते हैं।
1964 में स्थापित - Established in 1964
नाइकी ब्रांड (Nike brand) की स्थापना 1964 में फिल नाइट (Phil Knight) और बिल बोमरन (Bill Bowerman) ने की थी। फिल नाइट (Phil Knight) एक स्पोर्ट्स रिपोर्टर थे और पार्ट टाइम अकाउंटेंट के रूप में भी काम करते थे। वह एक एथलीट भी थे, उन्होंने अपने कॉलेज में कई रेसों में भाग लिया था। बिल बोमरन ((Bill Bowerman)) उनके ट्रैक-एंड-फील्ड (track-and-field coach) कोच थे। फिल नाइट ने अपनी कंपनी शुरू करने से 2 साल पहले बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (Business Administration) में मास्टर्स डिग्री ली थी।
पहले यह नाइकी के नाम था - Earlier it was named after Nike
उन्होंने अपने बिजनेस स्किल्स के दम पर एक शू कंपनी की नींव रखी। इसका नाम ब्लू रिबन स्पोर्ट्स (Blue Ribbon Sports) रखा गया, जो बाद में नाइकी (Nike) के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस कंपनी का मकसद लोगों को कम कीमत में अच्छे एथलेटिक जूते मुहैया कराना था। इसके लिए उन्होंने एक जापानी कंपनी से करार किया और वहां से सस्ते जूते लाकर अमेरिका में बेच दिए।
1971 में खुद का कारखाना खोला - Own factory opened in 1971
उनके जूते लोगों के बीच प्रसिद्ध होने लगे और जल्द ही उनकी कंपनी में काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 50 हो गई। 1971 में जब जापानी कंपनी के साथ उनका अनुबंध समाप्त हो गया, तो उन्होंने मेक्सिको में अपना जूता कारखाना खोला। उनका सबसे बड़ा प्रतियोगी एडिडास (Adidas) था और उन्हें इसे हराकर बाजार में प्रवेश करना था। साथ ही फिल नाइट (Phil Knight) अपनी कंपनी के लिए एक नया नाम चाहते थे जो लोगों की जुबान पर तुरंत आ जाए।
कर्मचारी ने कंपनी का नाम सुझाया - Employee suggested company name
कंपनी के नाम के लिए उन्होंने अपने कर्मचारियों से कुछ नाम सुझाने को कहा। उन्होंने खुद एक नाम डायमेंशन सिक्स (Dimension Six) रखा जो उनके कर्मचारियों को पसंद नहीं आया। अब पेटेंट के लिए नाम की आवश्यकता थी और समय कम था। ऐसे में एक दिन एक कर्मचारी जेफ जॉनसन (Jeff Johnson) ने नाइकी नाम का सुझाव दिया।
नाइकी का नाम और लोगो एक देवी के नाम पर रखा गया था - Nike's name and logo were named after a goddess
उन्होंने यह नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं की एक देवी नाइकी के नाम से लिया था। फिल नाइट (Phil Knight) को इस पंखों वाली देवी का नाम पसंद आया और उन्होंने तुरंत इस नाम का पेटेंट करा लिया। सही निशान वाला लोगो उनके एक शिष्य ने इस देवी के पंखों से प्रेरित होकर बनाया था। दिलचस्प बात यह है कि इसकी टैगलाइन Just Do It एक अपराधी के बयान से ली गई है.
टैगलाइन की प्रेरणा यहीं से मिली - The inspiration for the tagline came from here
इस कंपनी के लिए काम करने वाली एजेंसी के प्रमुख ने 1976 में एक अपराधी के बारे में पढ़ा जिसने दो लोगों की हत्या की थी। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जब उनसे उनके आखिरी शब्द पूछे गए तो उन्होंने कहा- Just Do It यहीं से एजेंसी के प्रमुख ने नाइकी की टैगलाइन- Just Do It बानी।
बाजार में एयर जॉर्डन का दबदबा रहा - Air Jordan dominated the market
नाइकी (Nike) ने एडिडास (Adidas) से भी ज्यादा सालाना करीब 4 करोड़ रुपए की डील की थी। इस पर माइकल जॉर्डन (Michael Jordan) ने अपने माता-पिता की सलाह पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद नाइकी (Nike) ने 1984 में उनके लिए खास स्नीकर्स एयर जॉर्डन बनाए, जो बाजार में आते ही लोकप्रिय हो गए और धीरे-धीरे Nike जूतों की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। आज Nike के दुनिया भर में हजारों आउटलेट हैं और इसकी गिनती दुनिया की सबसे बड़ी एथलेटिक शू कंपनियों में होती है।