जानिए माँ दुर्गा को आदिशक्ति होते हुए भी क्यों लेना पढ़ा मां कात्यायनी का रूप (why Maa Durga is taken as Adishakti even though she takes the form of Maa Katyayani)
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी (Katyayani) की पूजा की जाती है। क्या आप जानते हैं माँ दुर्गा को आदिशक्ति होते हुए भी कात्यायनी का रूप क्यों लेना पड़ा? अगर नहीं तो आइए जानते हैं इस कहानी के बारे में.............
भारत में नवरात्रि (Navratri) का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन 9 दिनों के दौरान, देवी की नौ मूर्तियों की अलग-अलग तरीकों से पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा 9 दिनों तक धरती पर विचरण करती हैं। इन दिनों मां की सच्चे मन से पूजा करने से मां सभी विघ्नों का नाश करती है।
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी (Katyayani) की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती हैं। मां का यह रूप अत्यंत शांत और हृदय को प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है। क्या आप जानते हैं माँ दुर्गा को आदिशक्ति होते हुए भी कात्यायनी का रूप क्यों लेना पड़ा? अगर नहीं तो आइए जानते हैं इस कहानी के बारे में।
माँ कात्यायनी नवरात्रि व्रत कथा (Katyayani Navratri Vrat Story)
पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि कात्यायन ने मां नवदुर्गा की घोर तपस्या की थी। तब माता उनकी तपस्या से प्रसन्न हुई और उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। देवी दुर्गा का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ था। माता का लालन-पालन ऋषि कात्यायन ने किया था।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को देवी दुर्गा का जन्म ऋषि कात्यायन के यहाँ हुआ था। मां के जन्म के बाद ऋषि कात्यायन ने भी अपनी बेटी मां दुर्गा की 3 दिनों तक पूजा की। महिषासुर राक्षस के बढ़ते अत्याचार के कारण, माँ कात्यायनी ने उसे मार डाला और देवताओं को मुक्त कर दिया। यही कारण है मां के इस रूप को अपनाने का।