जवाहरलाल नेहरू की जीवनी | Jawaharlal Nehru (1889-1964)
जवाहरलाल नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और स्वतन्त्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। उन्हें वर्ष 1955 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
जवाहरलाल नेहरू की जीवनी:
जवाहरलाल नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और स्वतन्त्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। उन्हें वर्ष 1955 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं।
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू एक धनी बैरिस्टर थे जो कश्मीरी भी पण्डित थे। उनकी माता स्वरूपरानी थुस्सू , जो लाहौर में बसे एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी,[4] मोतीलाल की दूसरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। जवाहरलाल तीन बच्चों में से सबसे बड़े थे, जिनमें बाकी दो लड़कियां थी। जवाहरलाल नेहरू जी का निधन 74 वर्ष की आयु में 27 मई सन् 1964 को हो गया था।
शिक्षा:
जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत विचार विकसित किए।
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी शुरुआत दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की। 1926 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का हवाला देकर त्यागपत्र दे दिया।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री:
सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। उसके बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी को मिले थे। किन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।
छवि स्रोत TheConservation
1947 में वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। अंग्रेजों ने करीब 500 देशी रजवाड़ों को एक साथ स्वतंत्र किया था और उस समय सबसे बडी चुनौती थी उन्हें एक झंडे के नीचे लाना। उन्होंने भारत के पुनर्गठन के रास्ते में उभरी हर चुनौती का समझदारी पूर्वक सामना किया। जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा निभाई । उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभायी।
लेखन-कार्य एवं प्रकाशन:
समस्त राजनीतिक विवादों से दूर नेहरू जी निःसंदेह एक उत्तम लेखक थे। राजनीतिक क्षेत्र में लोकमान्य तिलक के बाद जम कर लिखने वाले नेताओं में वे अलग से पहचाने जाते हैं।
नेहरू जी स्वभाव से ही स्वाध्यायी थे। उन्होंने महान् ग्रंथों का अध्ययन किया था। सभी राजनैतिक उत्तेजनाओं के बावजूद वे स्वाध्याय के लिए रोज ही समय निकाल लिया करते थे। परिणामस्वरूप उनके द्वारा रचित पुस्तकें भी एक अध्ययन-पुष्ट व्यक्ति की रचना होने की सहज प्रतीति कराती हैं।
प्रकाशित पुस्तकें:
- विश्व इतिहास की झलक (ग्लिंप्सेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री) - (दो खंडों में)
- मेरी कहानी (ऐन ऑटो बायोग्राफी)
- भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी (दि डिस्कवरी ऑफ इंडिया)