किसान का परिश्रम (The Story of Farmer's Hard Work)
एक छोटे से गांव में एक हरी नाम का किसान रहता था। करने के लिए एक छोटी सी ज़मीन थी। उससे उसे जो कुछ मिल जाता था वह उसी से गुजारा कर लेता था। वह कभी भी किसी के समक्ष हाथ नहीं फैलाता था।
एक छोटे से गांव में एक हरी नाम का किसान रहता था। करने के लिए एक छोटी सी ज़मीन थी। उससे उसे जो कुछ मिल जाता था वह उसी से गुजारा कर लेता था। वह कभी भी किसी के समक्ष हाथ नहीं फैलाता था।
एक दिन हरी का एक बैल मर गया। इससे वह बहुत परेशानी में पड़ गया। जुताई का समय था और खेत को जोतना भी जरुरी था। समय निकल जाने के बाद भी खेत जोतने से कोई लाभ नहीं होता क्योंकि एक बैल के मर जाने से उसके पास ही एक ही बेल बचता है।
वह बड़ी परेशानी में बैठा हुआ था, उसे इस प्रकार बैठा देख उसकी पत्नी ने उससे पूछा, "क्या बात है! इतने परेशान क्यों हो?"
हरी ने कहा- "अरे क्या बताऊं! जुताई का समय है। एक बैल के मर जाने से एक बैल से खेत जोतना असंभव है। इसी चिंता में बैठा हूं।"
पत्नी ने कुछ सोचकर कहा- "देखो जी! हमारे पास एक बैल तो है ही, जुताई में दूसरे बैल के स्थान पर मैं लग जाती हूं। इस प्रकार हमारा काम भी हो जाएगा।"
हरी ने काफी सोचा इसके अलावा उसे कोई और उपाय नजर नहीं आया। वह पत्नी को लेकर खेतों पर आया और हल के जुए में एक तरफ बैल जोता और दूसरी तरफ अपनी पत्नी को और काम करने लगा।
अचानक उसी समय उस राज्य का राजा अपने रथ में उधर से गुजरा। उसकी निगाह खेत पर काम कर रहे हरी पर गई। जिसने हल के जुए में एक तरफ बैल और दूसरी तरफ अपनी पत्नी को जोत रखा था। राजा को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ तथा साथ ही दु:ख भी हुआ।
वह अपने रथ को रोककर हरी के पास जाकर बोला, "यह तुम क्या कर रहे हो।"
हरी ने निगाह उठाकर उसकी ओर देखा और बोला, "मेरा बैल मर गया है। और मुझे खेत जोतना जरूरी है।"
राजा ने कहा- "हे मानव! स्त्री से भी बैल का काम लिया जाता है।"
हरी बोला, "क्या करूं, इसके अतिरिक्त कोई अन्य उपाय भी तो नहीं है।"
राजा कहने लगा, "तुम ऐसा करो। मेरा एक बैल ले आओ।"
हरी बोला, "किंतु; मेरे पास इतना समय नहीं है।"
राजा बोला, "सुनो भाई ! तुम अपनी पत्नी को बैल लाने भेज दो। जब तक यह आएगी। तब तक मैं उसकी जगह काम करूंगा।"
हरी की पत्नी ने कहा- "आप तो बेल देने को तैयार हो, पर आपकी पत्नी ने इनकार कर दिया तो।"
राजा बोला, "तुम चिंता मत करो ऐसा नहीं होगा।"
हरी राजी हो गया और उसकी पत्नी बैल लेने चली गई। राजा ने हल का जुआ अपने कंधे पर रख लिया।
किसान की पत्नी राजा के महल में पहुंची और उसने रानी के पास जाकर राजा की बात कही। तो वह बोली, "अरी बहन! एक बेल से कैसे काम चलेगा तुम्हारा। तुम्हारा बेल तो कमजोर होगा। हमारा बेल मजबूत है। दोनों साथ काम नहीं कर पाएंगे। तुम हमारे दोनों बैल ले जाओ।"
पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसे तो डर था कि वह कहीं एक बैल देने से इंकार न कर दे यहां तो एक छोड़ रानी दोनों बैलों को देने को राजी हो गई।
स्त्री बैलों को लेकर आई और पूरे खेत की जुताई हो गई। कुछ समय पश्चात फसल हुई। हरी ने देखा तो वह आश्चर्य में पड़ गया। सारे खेत में अनाज पैदा हुआ है; किंतु जितनी जमीन पर राजा ने हल चलाया था और उसका पसीना बहा था। उतनी जमीन पर मोती उगे थे।
यह किसान के परिश्रम का फल था। जहां राजा अपनी प्रजा की भलाई के लिए अपना पसीना बहाता है। वहां ऐसा ही फल प्राप्त होता है। इस कारण राजा किसान के परिश्रम को देख अपनी मेहनत का फल उसे दे देता है।
Moral: इस कहानी से हमें यह पता चलता है की कोई काम करने के लिए कितना भी परिश्रम करना पड़े उसका फल हमें जरुर मिलता होता है इसलिए हमे अंत तक परिश्रम करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।